उस स्रष्टा की भी जननी जो
क्यों उपेक्षित कन्या वो
बेटी कुदरत का उपहार
नहीं करो उसका तिरस्कार
जो बेटी को दे पहचान
माता-पिता वही महान
बेटी का जीवन बचाओ
मानव दुनिया में कहलाओ
पुत्रों से पुत्री बढ़कर
माता-पिता की करे फिक्र
करती सच्चे दिल से प्यार
फिर उसका हो क्यों तिरस्कार
जीने का उसको भी अधिकार
चाहिए उसे थोडा सा प्यार
जन्म से पहले न उसे मारो
कभी तो अपने मन में विचारो
शायद वही बन जाए सहारा
डूबते को मिल जाए किनारा
दुनिया मे उसे आने तो दो
चैन से उसको जीने तो दो
अति उत्तम बेटी का धन
कर देती मन को पावन
जिस घर मे बेटी आई
समझो स्वयं लक्ष्मी आईं
बेटी तो घर में ज़रूरी है
वो नहीं कोई मजबूरी है
बेटी-बेटे का त्यागो भ्रम
लेने दो बेटी को जन्म
बेटों से भी बेटी भली
क्यों जन्म से पूर्व उसकी बलि
बेटी को सम्मान दो
जीवन उसको दान दो
करेगी वो भी ऊँचा नाम
आएगी दुनिया के काम
हर क्षेत्र में लडंकी आगे
फिर क्यों हम लड़की से भागें
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